04 June 2013

डेरी किसान व् दुग्ध उद्योग खतरे में ...


हमारे बड़े भाई स्वरुप / हमारे गुरु देवेन्द्र शर्मा के ब्लॉग से हिंदी में रूपांतरित किया हुआ:




जरूर देखें और फेलायें : 

https://www.youtube.com/watch?v=JqD7oapb8ns&list=UUDzt-L-blq4TYjMPpIlJSew&index=29


भारत में दुग्ध उत्पादक बड़ी मुसीबत में है। बढ़ी हुयी लागत और कम होती कीमतों ने उन्हें पीछे धकेल दिया है .. परन्तु ग्राहक के मूल्य यथास्थित हैं, जो कम होने के कोई भी निर्देश नहीं दे रहे ।

जब एनसीपी  नेता प्रफुल पटेल ने एफ डी आई इन रिटेल की बहस के दौरान बोला की कैसे बारामती, महारास्त्र, में कृषि मंत्री शरद पवार ने भरोसा दिया की दुग्ध उत्पादकों को कम से कम Rs 20 लीटर का मूल्य मिलेगा, तो मुझे हंसी आयी । यह कोई उचित मूल्य नहीं है , बल्कि किसानों को दुःख देने वाला ही है। सभी कॉर्पोरेट और प्राइवेट प्लांट्स इसके आस पास ही मुल्य दे रहे हैं ।  

दूध के तैयार बड़े भंडार, लेकिन कमजोर निर्यात मांग, के कारण  दुग्ध उद्योग अपने नुक्सान कम करने की कोशिश कर रहा  है । इसलिए वह अपने नुक्सान को मूलतः सुरुवाती किसानों पर ढोने की कोशिश कर रहा है । और इस तरह की स्थिति भारत के लिए कोई अच्छी नहीं है । इसलिए यह जान्ने की कोशिश करें की कैसे अंतररास्ट्रीय समुदाय ने कदम उठाये ...

2009,  कैलिफ़ोर्निया में 1,800  में से लगभग 20 प्रतिशत दुग्ध फर्म्स, चारे व् यातायात की बढ़ी हुयी कीमत की वजह से बंद हो गयी । इसी तरह 2009 में जब अन्त्रास्त्रीय बाजार में दूध की कीमत गिरी, यूरोपियन समूह ने WTO की शर्ते खारिज करते हुए  से दूध में सब्सिडी शुरू करी  । इसमें 3600 करोड़ की सब्सिडी शामिल थी ताकि दूधिये अपने नुक्सान की भरपाई कर सके ।

अमेरिका और यूरोपियन समूह हमेश अपने डायरी किसानों को बचने की कोशिश ही की है । मुझे ये बात समझ में नहीं आती की क्यों हमारे यहाँ गृह दूधियों को बर्बाद होने दिया जा रहा है जबकि कीमत गिरने में उनका कोई  नहीं । जब प्राइवेट और सहकारिता उद्योग ने दूध की कीमत को
Rs 20.50 तक गिर दिया , तो फिर जानवरों को पलना खर्चीला ही होगा । पंजाब गुजरात महारास्त्र, और राजस्थान में बहुत ही किसानों ने दूध उत्पादन छोर दिया ।

अब देखते है कैसे यूरोप कैसे सामना किया इस मुश्किल से । यूरोपियन समूह में करीब 10 लाख डेरी किसान हैं । पूरा मिला के ये भारत या अमेरिका से ज्यादा दूध उत्पादन करते हैं । WTO के हिसाब से , एरोपेअन समूह ने अपनी डेरी सब्सिडी को ख़तम करना होगा ।  परन्तु कौन परवाह करता है जब ये घरेलु मामला बन जाता है । यूरोपियन समूह ने दुबारा सब्सिडी देना सुरु किया ताकि उनके दूध उत्पादन को सहारा मिल सके और साथ ही एक्सपोर्ट को भी । यह करने से यूरोपियन समूह पुरे विश्व  बाजार के लगभग 32 प्रतिशत मात्रा पर कब्ज़ा कर सका  ।

डेरी फार्मर ऑफ़ कनाडा (DFA ), के अनुसार EU के डेरी किसान लगभग Rs 3.96 करोड़ सब्सिडी प्राप्त होता है ।

इस तरह की भारी सब्सिडी वहां के किसानों को बाजार के उतार चढाव से बचाती है, और साथ ही उन्हें सब्सीडाइजड दूध को विकाशशील देशो में डंप करवाती है ।

एक्सपोर्ट बाजार को देखते हुए, EU ने EU-
India Free Trade Agreement (FTA) में मांग की है दूध पे टैक्स 90 प्रतिशत तक घतियी जाए ।  EU भारत को एक दूध व् दूध के प्रोडक्ट के बड़े बाजार के रूप में देखता है और चाहता है की भारत अपने घरेलु दरवाजे यूरोपियन समूह के लिए  खोले ।

कम होते फार्म्स 


अमेरिका में
1992 से डेरी फार्म्स लगभग 61 प्रतिशत  कम हो गए । और अब सिर्फ 51,480  ही डेरी फार्म्स बचे है । ये फर्म्स Rs 27,500 करोड़ रुपये प्राप्त कर चुके है 2009 से, मतलब उनके दूध की कीमत का तीसरा हिस्सा सब्सिडीइजेड है । ये सब्सिडी बिभिन्न  रूपों से  आती है: milk income loss contract payment; market loss assistance; milk income loss transitional payment; dairy economic loss assistance programme; milk marketing fees; dairy disaster assistance; and dairy indemnity.

EU अपने डायरी एक्सपोर्ट के लगभग 50 प्रतिशत को सब्सिडी देती है।
सामान्यतः कहा जाता है की अमेरिका और एरोपे के किसान सिर्फ प्राइवेट सप्लाई चैन पर ही निर्भर है .. ऐसा सच नहीं है .. मार्च
2009, के बाद EU ने एक्स्ट्रा (सरप्लस) मक्खन, दूध ख़रीदन सुरु किया। अमेरिका में भी येही किया गया । और इसके अलावा, 2002 से वहाँ दूधियों को  सीधे कैश सब्सिडी देना भी सुरु किया जब भी कीमते गिरी । 

ऐसा नहीं है की राज्य सरकारों के पास पर्याप्त साधन नहीं है .. जैसे पंजाब ने
Rs 1250 करोड़ रुपए का इंटरेस्ट फ्री लोन दिया और जिसमे 15 साल का टैक्स होलिद्य दिया स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल को बठिंडा में रेफिनारी लगाने के लिए । मुझे ये समझ में नहीं आता की सर्कार छोटे किसानो  को क्यों नहीं बचाना चाहती जो की डूब रहे हैं ।


इसलिए सरकार को चाहिए की  वे सहकारिता को सुस्बिद्य दे और जिससे मुल्य 25 rs तक कम से कम हो . दूसरा बैंक का इंटरेस्ट भी कम करना चाहिए जो की अभी
12.5 से 7 तक होना चाहिए ।

सर्कार को चाहिए की दुग्ध उत्पादकों को बचाए 
इससे पहले की वे इसको छोड़े जिससे भारत गहरी कमी में पड  जाएर और भारत को इसका बड़ा आयातक होना पड़ जाए |


सूत्र :
Milk crisis loomingDeccan Herald, Jan 5, 2013.
http://www.deccanherald.com/content/303002/milk-crisis-looming.html









1 comment:

  1. boss try to save bharatiya cow jurrsy cow milk is not that much nutritious than bharatiya cow also its dung and urine are medicinal and watching bharatiya cow itself is pleasing ,
    We appreciate your efforts and like to suggest for betterment of your effort. Contact various other state gau raksha sangathans and take various bharatiya breed cow and bulls and move forward.
    Jai Bharat.

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