29 May 2013

कोलगेट का झूट ....टूथपेस्ट में जहर ..

साथियों ...

जरूर देखें :  

https://www.youtube.com/watch?v=oga46f4op8U


इन विदेशी कंपनियों ने हमारे दिमाग पर इतना कब्ज़ा कर दिया है की हम अब आँख मूँद कर इनका सामान खरीदते है ... और बड़ा ही गर्व महसूस करते है ... हमे लगता है की हम भी मॉडर्न बन गए ... हम भी एडवांस बन गए ...

और अगर नहीं लिया तो हम अछि माँ ही नहीं ... अछि बीबी ही नहीं ... अच्छे दोस्त ही नहीं ... मतलब हम अपने आप ही आत्म-ग्लानी में डूब जाते है .... और फिर मजबूरी वश हम इनका सामान खरीदते है ... हमे लगता है की इनके सामानों की क्वालिटी बड़ी ही उच्च होती है ...

ये सब होता है लगातार सुबह साम दिखाए जाने वाले विज्ञापनों की वजह से ... जैसे सो बार लगातार एक झूट बोल जाए तो लोग उसे सच ही समझ लेते है ... ये थ्योरी जर्मन के हिटलर के सलाहकार गोबल्स की है जिसकी की आज हमारी विदेशी मीडिया पूरी तरह से अनुसरण कर रही है ....

तो जाने इनकी असलियत और करे इनका बहिस्कार ... और निकले अपने मानसिक गुलामी से .. और अपनाये स्वदेशी .... रहें अपने लोगो के करीब .... सोचें अपने आम लोगों के बारें में .. जिससे की उनको रोजगार मिल सकेगा और हमारे देश का पैसा देश में ही रहेगा ....
तो ज्यादा रोजगार सर्जन होंगें ... महंगाई कम होगी ...  गरीबी कम होगी ... एकाधिपत्य नहीं होगा इन कंपनियों का ...

कोलगेट नाम की कंपनी पहले तो कुछ भी वार्निंग नहीं लिखती थी ..लेकिन अब 1 वार्निंग लिखना सुरु कर दिया है ... जब चारो और से आवाजे आने
लगी ..अब तो इसने ग्रीन मार्क (Veg.) के लिए भी देना सुरु कर दिया है ....  पहले क्यों नहीं दे रही थी .... इसका मतलब पहले झूट बोल रही थी ....

पहले तो यह टूथपेस्ट में नमक है करके विज्ञापन देती थी .. अब बोल रही है क्या आपके टूथपेस्ट में नमक नहीं है ....

तो अपनाये कोई भी स्वदेशी हर्बल टूथपेस्ट .... या नीम की दान्तुन  .. आम की दान्तुन ..  अमरुद की दान्तुन ...




Your toothpaste may cause cancer

http://www.downtoearth.org.in/content/your-toothpaste-may-cause-cancer

Date: Sep 15, 2011 http://www.downtoearth.org.in/content/your-toothpaste-may-cause-cancer
A study finds nicotine dental products contain nicotine

Next time you brush your teeth, be careful. Some popular toothpastes and toothpowders in India have high levels of nicotine, a known carcinogen, a study has found.

Researchers at the Delhi Institute of Pharmaceutical Sciences and Research (DIPSAR) tested 10 toothpowders and 24 toothpastes brands. They found large amounts of nicotine in 11 of these non-tobacco products.

The highest amount of nicotine at 18 milligram/gram (mg/g) was found in Colgate Herbal products while 10 mg/g of nicotine was found in Neem Tulsi brand.

S. No
Brand
Nicotine found in dental care products in 2008 (mg/g)
Nicotine found in dental care products in 2011 (mg/g)
Manufacturer
1.
Vicco
0.002
0.05
Vicco laboratories, Goa
2.
Alka
dant manjan
-
1.0
Dev Chemical Works Pvt. Ltd., New Delhi
3.
Yunadant
nil
1.7
Aayam Herbal And Research, Jaipur, Rajasthan
4.
Dabur Red
5.75
0.01
Dabur India Limited, Solan, Himachal Pradesh
5.
Payo kil
nil
16
Gurukul Kangri Pharmacy, Haridwar, Uttarakhand
6.
Colgate Herbal
nil
18
Colgate Palmolive India Limited, Mumbai, Maharashtra
7.
Neem Tulsi
nil
10
Ayur Siddha Limited, Kangra, Himachal Pradesh
8.
Stoline Paste
nil
0.06
Group pharmaceuticals limited, Kolar, Karnataka
9.
Himalaya
nil
0.029
Himalaya Drug Company, Bengaluru, Karnataka
10.
Sensoform
nil
0.065
Indoco Remebies Limited, Solan, Himachal Pradesh

“Nicotine content in one cigarette is between two and three mg/g. In one of the dental care products we found the nicotine content was equivalent to that of nine cigarettes,” says Professor S S Agrawal, project director at DIPSAR.

According to the Cigarette and Other Tobacco Products Act, 2003, no non-tobacco product can contain tobacco and nicotine.

Earlier studies have found tobacco and nicotine in toothpowders. “But this is the first study that has found nicotine in toothpastes,” says P C Gupta, director, Healis Institute of Public Health, an organisation dedicated to improving public health in India and other developing countries.

In a study published in the British Medical Journal in 2004 Gupta stated that various tobacco products are used as dentrifice in India.

“Many companies take advantage of a misconception widely prevalent in India that tobacco is good for teeth,” Gupta says. The companies, therefore, package and position their products as dental care products, he adds. “A laboratory test of five samples of red tooth powder that did not declare tobacco as an ingredient found tobacco content of 9.3-248 mg/g of tooth powder,” the study stated.
“Nicotine in the toothpastes and toothpowders gets absorbed in the body when it directly comes in contact with the skin. This makes the product addictive,” Gupta notes.

"We do not use nicotine or any other tobacco substance as an ingredient in any of our products," says company spokesperson for Colgate. "We have contacted S S Agarwal to learn about the details of his research," the spokesperson adds.


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जरूर सुनें, डाउनलोड करें और फेलायें :  http://www.youtube.com/watch?v=hBXx2ROlCBg


मित्रो हम लोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सड़न दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | अब आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे होंगे ? और सब के सांस से बदबू आती होगी ? अब आपके दादा - दादी के जमाने मे तो colgate होता नहीं था तो दादा दादी साथ बैठते थे या नहीं ???

तब आपको जवाब मिलेगा पहले सभी नीम का दातुन करते थे ! अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगड़ो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया | अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैं, जब कि है उल्टा | जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे ज्यादा बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | !! और ये dicalcium phosphate तो सब जानते है जानवरो की हड्डियों को bone crusher machine मे पीसा जाता है और फिर उससे dicalcium phosphate बनता है !
यहाँ click कर देखे !

http://youtu.be/hBXx2ROlCBg

जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है fluoride (फ्लोराइड) | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | और कोई भी toothpaste जिसमे fluoride होता है और 1000 ppm से ज्यादा होता तो है तो वो toothpaste toothpaste नहीं रहता जहर हो जाता है !


अब ये बात मैं अगर कोर्ट मे जाकर बोलूँगा तो कोर्ट मेरी बात मानेगा नहीं ! वो पूछेगा आपके पास दाँतो की डाक्टरी का certificate है क्या ??? जबकि मुझे मालूम है कि 1000 ppm से ज्यादा fluoride है किसी toothpaste मे तो वो जहर है ! मतलब इस देश का कानून इतना घटिया है ! कि कोर्ट मेरी बात तब मानेगा जब मेरी पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री होगी और इसके लिए dentist होना पड़ेगा !! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री है वो कोर्ट मे जा नहीं रहे ! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री नहीं है वो मेरे जैसे बाहर बैठे खिसया(गुस्सा) रहे है ! और धड्ड्ले से इस देश मे colgate बिक रहा है !

अक्सर मैं लोगो से पूछता हूँ कि आप colgate क्यूँ करते हैं ??? तो वो कहते है इसमे quality बहुत है ! तो मैं पूछता हूँ अच्छा क्या quality है ?? तो वो कहते है कि इसमे झाग बहुत बनता है तो मैं कहता हूँ भाई झाग तो RIN मे भी बहुत बनता है ! झाग तो AIRL मे भी बहुत बनता है ! और झाग तो shaving cream मे सबसे ज्यादा बनता है तो उसी से दाँत साफ कर लिया करो अगर झाग ही चाहिए आपको ! ये पढे लिखे मूर्खो के उत्तर है ! बिना पढ़ा लिखा आदमी कभी ऐसा जवाब नहीं देता ! और ये जवाब पता मुझे कहाँ मिला ! दिल्ली university मे मैं भाषण कर रहा था department of mathematics मे !
वहाँ के प्रोफेसर ने उत्तर दिया कि colgate मे बहुत बढ़िया quality है झाग बहुत बनता है ! तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप dental cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ?? airl से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते shaving cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ??? सबसे ज्यादा झाग तो उसी मे बनता है ! तो प्रोफेसर एक दम चुप हो गया !!

तो बोला अच्छा आप ही बताओ quality क्या होती है ?? तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप mathematics के प्रोफेसर होकर ये नहीं जानते कि quality क्या होती है ? तो क्यूँ ? चिलाते हैं quality होती है ! आप सीधा कहो हमे नहीं पता quality क्या होती है हम तो tv मे विज्ञापन देख कर बस घर उठा लाते हैं ! तो मैंने उनका उनको कहा कि colgate tooth paste बनता किस्से है उसकी quality क्या है ये समझने की जरूरत है !! तो वो mathematics के थे थोड़ा chemistry भी जानते थे ! तो मैंने कहा chemistry मे एक कैमिकल होता है जिसका नाम है Sodium Lauryl Sulphate | उससे colgate बनता है ! क्यूंकि Sodium Lauryl Sulphate डाले बिना किसी भी toothpaste मे झाग पैदा नहीं हो सकता !


आप मे से थोड़े भी chemistry पढे लिखे लोग है तो Sodium Lauryl Sulphate के बारे मे chemistry की dictionary मे आप देख लीजिये ! उसके सामने लिखा हुआ है poison (जहर) है ! 0.05 मिलीग्राम मात्रा मे शरीर मे चला जाये ! तो cancer कर देता है ! और ये colgate ,closeup pepsodent , मे भरपूर मात्रा मे मिलाया जाता है !

धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |

और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता |

आपको एक और जानकारी देता हूँ | ये colgate कंपनी जब अपने देश अमेरिका मे toothpaste बेचती है ! तो उस पर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | जैसे हमारे देश मे सिगरेट पर लिखा जाता है न सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है !! ऐसी ही वहाँ colgate पर लिखा जाता है !
लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उस पर क्या लिखते हैं !

"please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years
_________________________________________________________-
" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | (और हमारे यहाँ छोटे छोटे बच्चो से ये कंपनी विज्ञापन करवाती है !)

और आगे लिखते हैं "

In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately
___________________________________________________________________
, मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "

If you are an adult then take this paste on your brush in pea size
___________________________________________________
" मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | और जानबूझ बच्चो से विज्ञापन करवाया जाता है !! और ये अमेरीकन कंपनिया की चाल बाज है !! 1991 ये टीवी पर विज्ञापन दिखाते थे ! आम toothpaste में होता है नमक !! लीजिये colgate saltfree ! और अब बोलते है !! क्या आपके toothpaste मे नमक है ??


2-3 माहीने के बाद लेकर आ गए ! colgate max fresh !!


2-3 महीने ये बेच कर लोगो को बेवकूफ बनाया !! फिर नाम बदल कर ले आये ! colgate sensitive ! इसे अपने sensitive दाँतो आर मसाज करे !! और विज्ञापन ऐसा दिखाते हैं !! जैसे ये कोई सच मे सर्वे कर रहे हैं !! हमारे दिमाग मे एक मिनट के लिए भी नहीं आता ! कि कंपनी ने विज्ञापन देने ए लिए लाखो रुपए खर्च किए है ! तो वो तो अपने जहर को बढ़िया ही बताने वाले हैं !


2-3 महीने इस नाम से बेचा अब नाम बदल कर रख दिया है ! colgate anti cavity !! थोड़े दिन इसको बेचेंगे फिर नाम बदल देंगे !!
!
हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती जो ये कंपनी अपने देश अमेरिका मे लिखती है हमारे देश मे उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |

यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
From: 
Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
To: prakriti.pune@gmail.com

May 31, 2011

Ref: 022844460A

Mr. Rakesh Chandra Rakesh
B 13 Everest Heights Behind Joggers
Near Khalsa Dairy
Viman Nagar
Pune 411014
Maharashtra
India

Dear Mr. Rakesh,

Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.

"The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations. We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."

We greatly value your patronage of Colgate-Palmolive products.

Regards,

COLGATE PALMOLIVE (INDIA) LIMITED

Abilio Dias
Consumer Affairs
Communications
http://www.natural-health-information-centre.com/sodium-lauryl-sulfate.html

और
http://www.fluoridealert.org/issues/dental-products/toothpastes/

इन दोनों लिंक को समय निकाल कर पढने का कष्ट करेंगे तो आपके लिए अच्छा होगा | आप जिस भी पेस्ट के INGREDIENT में इस केमिकल का नाम देखिये तो उसे कृपा कर के इस्तेमाल मत कीजिये, अपना नहीं तो अपने बीवी-बच्चो का तो ख्याल कीजिये, अगर शादी नहीं हुई है तो अपने माता-पिता का ख्याल तो कीजिये |

विकल्प (पेस्ट नहीं करे तो क्या करें ??)

यहाँ मैं महर्षि वाग्भट (3000 साल पहले भारत मे हुये एक sant 135 वर्ष कि उम्र तक जिये )के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँ, जिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजिये |
दातुन कैसा ? तो जो स्वाद में कसाय हो, कसाय समझते हैं आप ? कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है |एक दूसरा दातुन बताया है, वो है मदार का, उसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल है, अर्जुन है, आम है, अमरुद है, जामुन है, ऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं |

चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है , बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है | आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे बस एक बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को 20 दिन का विश्राम दे | इस अवधि में मंजन कर ले | दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है, वो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेल, या जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते हों, रिफाइन छोड़ कर ), उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे | दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले |

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जाते जाते एक अंतिम बात !

जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा | और अमेरिका ने नीम पर patent ले लिया है !


इस देश के लोग हर साल 1000 करोड़ का tooth paste का जहर मुंह मे घूमा कर पैसा विदेशी कंपनी को दे देते हैं ! और यहाँ अगर आप नीम का दातुन करे तो ये 1000 हजार करोड़ देश के गरीब लोगो को जाएगा !! किसानो को जाएगा जो बेचारे चौराहो पर बैठ कर नीम का दातुन बेचते हैं !!

अब आप कहेंगे अगर सब लोग नीम का दातुन करेंगे ! तो एक दिन नीम का झाड खत्म हो जाएगा ! उसका भी के उपाय है !
घर के बाहर नीम का पेड़ लगा है तो 200 तरह के वाइरस और बेक्टीरिया आपके घर मे नहीं घुसेंगे और एक नीम का पेड़ 1 साल में 15 लाख रूपये की आक्सीजन देता है ! अगर आप संकल्प ले कि आप अपने हर जन्मदिन पर 1 नीम का पेड़ लगाएँगे और मान लो आपके 50 जन्मदिन आयें और आपने 50 नीम के पेड़ लगाये ! तो 50 x 1500000 (15 लाख ) = 7.50 करोड़ तो (साढ़े सात करोड़) की आक्सीजन आप देश को दान देंगे ! और अगर कोई आप से ऐसे मांग ले कि भाई साढ़े सात करोड़ देश के लिए दे दो ! तो आप कहेंगे है ही नहीं ! और इतने नीम के पेड़ होने से देश मे बढ़ रही प्रदूषण की समस्या भी हल हो जाएगी !!

आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!


वन्देमातरम 




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28 May 2013

रिक्शा चालक से किसान वैज्ञानिक तक का सफ़र ....

आदरणीय मित्रो ...


जरूर देखें व् अपने अपने बच्चो को बताएं सफलता की ऐसी कहानियाँ  जिनसे सही मायनों में विकाश होगा ....

https://www.youtube.com/watch?v=bKcMKbnyjoI&noredirect=1





रिक्शा चालक से किसान वैज्ञानिक तक का सफ़र ....


कौन कहता है की हुनर के लिए सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी ही जरूरी है ....  क्यों हम भेड़ चाल से चल रहे है ... क्यों हमारे गावं के लोग या शेहरो के आर्थिक रूप से कमजोर भाई लोग आत्म-ग्लानी  से पीड़ित हैं  ...या क्यों आर्थिक रूप से मजबूत भाई लोग अपने अहम् व् अकड़, घमंड में है ... आखिर किसको दिखाना चाहते हैं हम ये ... आखिर किस्से बड़ा दिखना चाहते हैं हम ...  आखिर किसको नीचा दिखाना चाहते हैं हम ..... अपने ही भाइयों को .... क्या येही विकाश है ... क्या ये ही आगे बढ़ना है ... जिसको सायद गावं के लोग समझते है .... क्या येही modernisation की परिभाषा है ...  क्यों नहीं हम अपने व् अपने आस पास के समाज को देखते .. की कैसे हम और हमारी पीढ़िया  जियेंगे .. कैसा होगा विकास का मॉडल ....

आखिर कब निकलेंगे हम अपनी अपनी मानसिक गुलामी से .. और कब हम अपने आप को अपनों के करीब समझेंगे ..

क्या हमारा देश बड़ी-बड़ी कंपनियों से ही विकसित करेगा ... या छोटे छोटे गृह उद्योगों से लाखों करोरों लोगों को रोजगार मिलेगा तभी उन्नति करेगा ... जरा सोचें दोस्तों ... आखिर कैसे 125 क्रोर लोग सही मायनों में विकाश करेंगे ... क्या रास्ता होगा ... हमारा विकाश का ....

तो आओ मिल के सोचे और कदम बढ़ाएं ...

संपर्क :  :  09896054925



23 May 2013

पथरी का इलाज़....

जरूर सुनें, डाउनलोड करें और फेलायें :




मित्रो, जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं ) क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|

आयुर्वेदिक इलाज ! 


पखानबेद (पत्थरचट्टा) नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!


होमियोपेथी इलाज !


आप होमियोपैथी की किसी भी दावा की दुकान से  बरबैरिस वल्गेरिस मदर टीन्चर (Berbaris Vulgaris Mother Tincher) की दवा ले :

15 बूँद 1/4 कप में गुनगुने पानी में डाले और पी ले ..
दिन में 4 बार ही इतनी मात्रा ले ... कम से कम 3 बार अवस्य लें ..
1 - 11/2 या 2 महीने तक ले कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होगा ... फिर चेक कराएँ ... कभी कभी 3 महीने भी लग जाते हैं  ...

जब पूरी तरह से पथरी ख़तम हो जाए तो क्या करना है .. ताकि दुबारा न हो .... क्यों .. क्योकि ये कभी कभी दुबारा भी हो जाती है ... तो

CHINA 1000  नामक दवाई ले
2 बूद जीभ में सीधे डालें ..  
सुबह   दोपहर  शाम   ...... सिर्फ एक ही दिन लें  ..


(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )

कोक को देहरादून - उत्तराखंड में दी 200 बीघा जमीन..

कोक की दी 200 बीघा जमीन और अगर आज उत्तराखंड का कोई व्यक्ति खेती करना चाहे तो उसके पास पर्याप्त जमीन नहीं .... तो ये सरकारें जनता के हित नहीं कंपनियों के लिए ही तो काम कर रही हैं  ....


अब इससे क्या होगा .... उसके आस पास के गावों का जल स्तर और गिरेगा .. और खेत    ..किसान आत्म-हत्याएं  करेगा .... या जमीन  बेचेगा ..फिर से इन्ही कंपनियों को .....

आओ हम मिल के संकल्प ले की जो कंपनी मेरे उत्तराखंड को बर्बाद कर रही है .. वहां  बेरोजगारी फेला  रही है ... वहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूट रही है ...
    ------------>  हम उसका कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं करेंगे ... हम आज से कोक पेप्सी या इनके दुसरे प्रोडक्ट नहीं पीयेंगे/खायेंगें  .... क्या आपमें है ये हिम्मत ....

http://www.business-standard.com/article/companies/coca-cola-s-dehradun-plant-water-supply-to-hydel-projects-threatened-113041801239_1.html


जॉनसन एंड जॉनसन/ एमवे खतरनाक है बच्चों/बड़ों के लिए ....


आदरणीय भाइयो  और बहनों :

आओ हम सब निकलें अपनी मानसिक गुलामी से और इन कंपनियों के मायाजाल से, कैसे ये हमे मुर्ख बना के लाखों करोरो कमा रही है और हमे दे रही है खतरनाक बीमारियाँ .... :

अपने बच्चो को Johnson & Johnson विदेशी कंपनी के जहरीले उत्पादो से बचाये ! और उन हरामखोर डाक्टरों से भी बचें जो इस कंपनी से मिलने वालों टुकड़ो की खातिर आपके बच्चो की जान को दाव पर लगा देते हैं ! और आपको इस कंपनी के products इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं !

जरूर फेलायें :

http://www.firstpost.com/business/shocker-jj-baby-powder-contained-cancer-causing-substance-737297.html

http://www.thehindubusinessline.com/companies/jjs-licence-to-make-baby-powder-cancelled/article4654358.ece

http://www.youtube.com/watch?v=hBXx2ROlCBg






Amway के प्रोडक्ट भी सही नहीं सेहत के लिए :




निकलें  अपनी  मानसिक गुलामी से और इन कंपनियों के मायाजाल से : 

28 May 2013:  पिछले साल अपराध शाखा (आर्थिक अपराध) इकाई ने एमवे के त्रिसूर, कोझिकोड तथा कन्नूर के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी मनी चेन गतिविधियों का पता लगाने के लिए की गई थी। इन केंद्रों पर कंपनी के गोदामों को बंद कर दिया गया और उत्पादित सामान जब्त किया गया था।यह छापेमारी कोझिकोड की विसालाक्षी की शिकायत पर की गई थी। महिला ने दावा किया था कि उसे कंपनी की वजह से नुकसान हुआ है।

नेटवर्किंग मार्केटिंग कंपनी एमवे इंडिया के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विलियम एस पिंकने और कंपनी के दो निदेशकों को आज यहां वित्तीय अनियमितता के आरोप में केरल पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया। अपराध शाखा के सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार निदेशकों में संजय मल्होत्रा और अंशु बुद्धिराजा शामिल हैं।

यह गिरफ्तारी वायनाड की अपराध शाखा द्वारा 2011 में दर्ज तीन मामलों में वॉरंट जारी किए जाने के बाद हुई है। सूत्रों ने बताया कि इन अधिकारियों को प्राइस चिट्स एंड मनी सकरुलेशन स्कीम्स (प्रतिबंध कानून) के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।


कुछ दिनों पहले ही एमवे के तीन उत्पाद के नमूनों की रिपोर्ट फेल आई है। न्यूट्रीलाइट प्रोटीन पाउडर और चाकलेट ड्रिंक जहां मिस ब्रांडिंग और मिस लीडिंग में फंसे हैं। वहीं जांच में न्यूट्रीलाइट कोएंजाइम क्यू-10 अपमिश्रित पाया गया है। इन तीनों फूड सप्लीमेंट के सैंपल की जांच खाद्य सुरक्षा विभाग ने पूना स्थित सेंट्रल लैब से कराई थी। अब विभाग कंपनी और प्रोडक्ट से जुड़ी फर्मों पर केस दायर करने की तैयारी कर रहा है।


नगर निगम हरिद्वार के खाद्य सुरक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार पांडे के मुताबिक 11 दिसंबर 2012 को हरिद्वार स्थित एक एजेंसी से एमवे के तीन प्रोडक्ट न्यूट्रीलाइट प्रोटीन पाउडर, न्यूट्रीलाइट चाकलेट ड्रिंक और न्यूट्रीलाइट कोएंजाइम क्यू-10 के सैंपल भरे थे। जिन्हें जांच के लिए रुद्रपुर लैब भेजा गया, यहां से न्यूट्रीलाइट प्रोटीन पाउडर और चाकलेट ड्रिंक के सैंपल की लेबल कंडीशन को लेकर मिस ब्रांडिंग और मिस लीडिंग पाई गई, जबकि संसाधनों के अभाव का बताते हुए लैब ने न्यूट्रीलाइट कोएंजाइम क्यू-10 के सैंपल जांचने से इंकार कर दिया। जिसके बाद विभाग ने तीनों सैंपल पूना स्थित सेंट्रल लैब जांच के लिए भेजे। सेंट्रल लैब रिपोर्ट का हवाला देते हुए खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि न्यूट्रीलाइट प्रोटीन पाउडर और न्यूट्रीलाइट फूड सप्लीमेंट प्रोडक्ट के लेबल पर ‘बेस्ट ऑफ दे नेचर, बेस्ट ऑफ द साइंस’ लिखा गया है। जो जांच में सही नहीं पाया गया है। लेबल कंडीशन में दोनो प्रोडक्ट मिस लीडिंग और मिस ब्रांडिंग पाए गए हैं। सेंट्रल लैब ने न्यूट्रीलाइट कोएंजाइम क्यू-10 फूड सप्लीमेंट के सैंपल की जांच भी की है। जांच में यह प्रोडक्ट अपमिश्रित पाया गया है। इस फूड सप्लीमेंट में माइक्रोस्टेलाइन सेल्युलोज और ट्राई कैल्शियम फास्फेट का प्रयोग किया गया है। खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार इनका प्रयोग फूड सप्लीमेंट में नहीं किया जा सकता है। इन्हें स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं बताया गया है

भारत में पिछले कई सालो से एक विदेशी कंपनी जो नेटवर्क मार्केटिंग में बहोत ही आगे बढ़ के काम कर रही हे....एमवे इंडिया......उस के बारे में जो आंकड़े मिले हे वो बहोत ही आश्चर्यजनक हे....और उस से लगता हे की जब एक कंपनी देश का इतना सारा रुपया अपने देश से बाहर ले जा सकती हे सिर्फ चुना लगा के....बाकी तो और बहोत कुछ होगा.....तो पांच हजार से ज्यादा विदेशी कंपनीया कितना रूपया देश से बाहर ले जा रही होगी......

कुछ आंकड़े  हे एमवे कंपनी के बारे में ....में यहाँ पे दिखाता हु आप सबको.........

4200 रूपये ..जब एमवे लेती थी
सामन केवल 2200 का होता था
हर जोइनिंग पर 2000 रूपये ... तो लगभग १ करोड़ लोगो को कंपनी ने जोड़ा था
तो घोटाला हुआ २००० करोड़

यह मिनिमम है
असली रकम 10,000 करोड से ऊपर हो सकती है

बहोत बड़ा घोटाला..........

दोस्तों.....आप सब का क्या कहना हे इस बारे में......


http://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/Amway-India-chairman-arrested-for-financial-irregularities/articleshow/20294411.cms






इसी तरह से होर्लिक्स, बोर्नविटा, बूष्ट आदि में भी कुछ  नहीं है ...सब हमको बेवकूफ बना के हमारे देश का पैसा विदेश भेज जा रहा है ..



22 May 2013

खतरनाक हैं एल्युमिनियम के बर्तन


अधिक जानकारी के लिए ये विडियो देखे :

http://www.youtube.com/watch?v=EwSr2TsZMXc


खतरनाक हैं एल्युमिनियम के बर्तन। राजीव दीक्षित



हमारे देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है । उससे पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे । अंग्रेजो ने जेलों में कैदिओं के लिए एल्युमिनिय के बर्तन शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता है । एल्युमिनिय के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है । जैसे अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि । पुराने समय में काँसा और पीतल के बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे मने जाते है । यदि सम्भव हो तो वही बर्तन फिर से ले कर आयें । हमारे पुराने वैज्ञानिकों को मालूम था की एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि यह भोजन बनाने और खाना खाने के लिए सबसे घटिया धातु है । इससे अस्थमा, टी बी, दमा, बातरोग में बढावा मिलता है । इसलिए एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग बन्द करें।




जन गन मन vs वन्देमातरम !!

जन गन मन गाने से पहले एक बार पूरी पोस्ट पढ़े !


https://www.youtube.com/watch?v=TP6aM3WHJL0




‘’वन्देमातरम’’ बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा था ! उन्होने इस गीत को लिखा !लिखने के बाद 7 साल लगे जब यह गीत लोगो के सामने आया ! क्यूँ की उन्होने जब इस गीत लो लिखा उसके बाद उन्होने एक उपन्यास लिखा जिसका नाम था ‘’आनद मठ’’ उसमे इस गीत को डाला !वो उपन्यास छपने मे 7 साल लगे !

1882 आनद मठ उपन्यास का हिस्सा बना वन्देमातरम और उसके बाद जब लोगो ने इसको पढ़ा तो इसका अर्थ पता चला की वन्देमातरम क्या है ! आनद मठ उपन्यास बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था अँग्रेजी सरकार के विरोध मे और उन राजा महाराजाओ के विरोध मे जो किसी भी संप्रदाय के हो लेकिन अँग्रेजी सरकार को सहयोग करते थे ! फिर उसमे उन्होने बगावत की भूमिका लिखी कि अब बगावत होनी चाहिए !विरोध होना चाहिए ताकि इस अँग्रेजी सत्ता को हम पलट सके ! और इस तरह वन्देमातरम को सार्वजनिक गान बनना चाहिए ये उन्होने घोषित किया !

उनकी एक बेटी हुआ करती थी जिसका अपने पिता बंकिमचंद्र चटर्जी जी से इस बात पर बहुत मत भेद था ! उनकी बेटी कहती थी आपने यह वन्देमातरम लिखा है उसके ये श्बद बहुत कलिष्ट हैं ! कि बोलने और सुनने वाले कि ही समझ में नहीं आएंगे ! इसलिए गीत को आप इतना सरल बनाइये कि बोलने और सुनने वाले कि समझ मे आ सके !

तब बंकिम चंद्र चटर्जी ने कहा देखो आज तुमको यह कलिष्ट लग रहा हो लेकिन मेरी बात याद रखना एक दिन ये गीत हर नोजवान के होंटो पर होगा और हर क्रांतिवीर कि प्रेरणा बनेगा ! और हम सब जानते है इस घोषणा के 12 साल बाद बंकिम चंद्र चटर जी का स्वर्गवास हो गया ! बाद मे उनके बेटी और परिवार ने आनद मठ पुस्तक जिसमे ये गीत था उसका बड़े पेमाने पर प्रचार किया !

वो पुस्तक पहले बंगला मे बनी बाद मे उसका कन्नड ,मराठी तेलगु ,हिन्दी आदि बहुत भाषा मे छपी ! उस पुस्तक ने क्रांतिकारियों मे बहुत जोश भरने का काम किया ! उस पुस्तक मे क्या था कि इस पूरी अँग्रेजी व्यवस्था का विरोध करे क्यू कि यह विदेशी है ! उसमे ऐसे बहुत सी जानकारिया थी जिसको पढ़ कर लोग बहुत उबलते थे !और वो लोगो मे जोश भरने का काम करती थी ! अँग्रेजी सरकार ने इस पुस्तक पर पाबंदी लगाई कई बार इसको जलाया गया ! लेकिन इस कोई न कोई एक मूल प्रति बच ही
जाती ! और आगे बढ़ती रहती !

1905 मे अंग्रेज़ो की सरकार ने बंगाल का बंटवारा कर दिया एक अंग्रेज़ अधिकारी था उसका नाम था कर्ज़न ! उसने बंगाल को दो हिस्सो मे बाँट दिया !एक पूर्वी बंगाल एक पश्चमी बंगाल ! पूर्वी बंगाल था मुसलमानो के लिए पश्चमी बगाल था हिन्दुओ के लिए !! हिन्दू और मूसलमान के आधार पर यह पहला बंटवारा था !

तो भारत के कई लोग जो जानते थे कि आगे क्या हो सकता है उन्होने इस बँटवारे का विरोध किया ! और भंग भंग के विरोध मे एक आंदोलन शुरू हुआ ! और इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे (लाला लाजपतराय) जो उत्तर भारत मे थे !(विपिन चंद्र पाल) जो बंगाल और पूर्व भारत का नेतत्व करते थे ! और लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक जो पश्चिम भारत के बड़े नेता थे ! इस तीनों नेताओ ने अंग्रेज़ो के बंगाल विभाजन का विरोध शुरू किया ! इस आंदोलन का एक हिस्सा था (अंग्रेज़ो भारत छोड़ो) (अँग्रेजी सरकार का असहयोग) करो ! (अँग्रेजी कपड़े मत पहनो) (अँग्रेजी वस्तुओ का बहिष्कार करो) ! और दूसरा हिस्सा था पोजटिव ! कि भारत मे स्वदेशी का निर्माण करो ! स्वदेशी पथ पर आगे बढ़ो !

लोकमान्य तिलक ने अपने शब्दो मे इसको स्वदेशी आंदोलन कहा ! अँग्रेजी सरकार इसको भंग भंग विरोधे आंदोलन कहती रही !लोकमान्य तिलक कहते थे यह हमारा स्वदेशी आंदोलन है ! और उस आंदोलन के ताकत इतनी बड़ी थी !कि यह तीनों नेता अंग्रेज़ो के खिलाफ जो बोल देते उसे पूरे भारत के लोग अपना लेते ! जैसे उन्होने आरके इलान किया अँग्रेजी कपड़े पहनना बंद करो !करोड़ो भारत वासियो ने अँग्रेजी कपड़े पहनना बंद कर दिया ! उयर उसी समय भले हिंदुतसनी कपड़ा मिले मोटा मिले पतला मिले वही पहनना है ! फिर उन्होने कहाँ अँग्रेजी बलेड का ईस्टमाल करना ब्नद करो ! तो भारत के हजारो नाईयो ने अँग्रेजी बलेड से दाड़ी बनाना बंद करदिया ! और इस तरह उस्तरा भारत मे वापिस आया ! फिर लोक मान्य तिलक ने कहा अँग्रेजी चीनी खाना बंद करो ! क्यू कि चीनी उस वक्त इंग्लैंड से बन कर आती थी

भारत मे गुड बनाता था ! तो हजारो लाखो हलवाइयों ने गुड दाल कर मिठाई बनाना शुरू कर दिया ! फिर उन्होने अपील लिया अँग्रेजी कपड़े और अँग्रेजी साबुन से अपने घरो को मुकत करो ! तो हजारो लाखो धोबियो ने अँग्रेजी साबुन से कपड़े धोना मुकत कर दिया !फिर उन्होने ने पंडितो से कहा तुम शादी करवाओ अगर तो उन लोगो कि मत करवाओ जो अँग्रेजी वस्त्र पहनते हो ! तो पंडितो ने सूट पैंट पहने टाई पहनने वालों का बहिष्कार कर दिया !

इतने व्यापक स्तर पर ये आंदोलन फैला !कि 5-6 साल मे अँग्रेजी सरकार घबरागी क्यूंकि उनका माल बिकना बंद हो गया ! ईस्ट इंडिया कंपनी का धंधा चोपट हो गया ! तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने अंग्रेज़ सरकार पर दबाव डाला ! कि हमारा तो धंधा ही चोपट हो गया भारत मे ! हमारे पास कोई उपाय नहीं है आप इन भारतवासियो के मांग को मंजूर करो मांग क्या थी कि यह जो बंटवारा किया है बंगाल का हिन्दू मुस्लिम से आधार पर इसको वापिस लो हमे बंगाल के विभाजन संप्रदाय के आधार पर नहीं चाहिए ! और आप जानते अँग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा ! और 1911 मे divison of bengal act वापिस लिया गया ! इतनी बड़ी होती है बहिष्कार कि ताकत !

तो लोक मान्य तिलक को समझ आ गया ! अगर अंग्रेज़ो को झुकाना है ! तो बहिष्कार ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है ! यह 6 साल जो आंदोलन चला इस आंदोलन का मूल मंत्र था वन्देमातरम ! जीतने क्रांतिकारी थे लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय ,विपिन चंद्र पाल के साथ उनकी संख्या !1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा थी ! वो हर कार्यक्रम मे वन्देमातरम गाते थे ! कार्यक्रम कि शुरवात मे वन्देमातरम ! कार्यक्रम कि समाप्ति पर वन्देमातरम !!


उसके बाद क्या हुआ अंग्रेज़ अपने आप को बंगाल से असुरक्षित महसूस करने लगे !क्यूंकि बंगाल इस आंदोलन का मुख्य केंद्र था ! सन 1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुआ करता था। सन 1905 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुए तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के लिए …के कलकत्ता से हटाकर राजधानी को दिल्ली ले गए और 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया। पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुए थे तो …अंग्रेजो ने अपने इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये। इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया।

रविंद्रनाथ टैगोर पर दबाव बनाया गया कि तुम्हे एक गीत जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा। उस समय टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था, उनके परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम किया करते थे, उनके बड़े भाई अवनींद्र नाथ टैगोर बहुत दिनों तक ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता डिविजन के निदेशक (Director) रहे। उनके परिवार का बहुत पैसा ईस्ट इंडिया कंपनी में लगा हुआ था। और खुद रविन्द्र नाथ टैगोर की बहुत सहानुभूति थी अंग्रेजों के लिए।

रविंद्रनाथ टैगोर ने मन से या बेमन से जो गीत लिखा उसके बोल है “जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता”। इस गीत के सारे के सारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जोर्ज पंचम का गुणगान है, जिसका अर्थ समझने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो की खुशामद में लिखा गया था। इस राष्ट्रगान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है “भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है। हे अधिनायक (Superhero) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो। तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा मतलब महारास्त्र, द्रविड़ मतलब दक्षिण भारत, उत्कल मतलब उड़ीसा, बंगाल आदि और जितनी भी नदिया जैसे यमुना और गंगा ये सभी हर्षित है, खुश है, प्रसन्न है , तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है। तुम्हारी ही हम गाथा गाते है। हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय हो जय हो। ” में ये गीत गाया गया।

जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया। जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी किसी ने नहीं की। वह बहुत खुश हुआ। उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत उसके (जोर्ज पंचम के) लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये। रविन्द्र नाथ टैगोर इंग्लैंड गए। जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरस्कार समिति का अध्यक्ष भी था। उसने रविन्द्र नाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया। तो रविन्द्र नाथ टैगोर ने इस नोबल पुरस्कार को लेने से मना कर दिया। क्यों कि गाँधी जी ने बहुत बुरी तरह से रविन्द्रनाथ टेगोर को उनके इस गीत के लिए खूब डांटा था। टैगोर ने कहा की आप मुझे नोबल पुरस्कार देना ही चाहते हैं तो मैंने एक गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो लेकिन इस गीत के नाम पर मत दो और यही प्रचारित किया जाये क़ि मुझे जो नोबेल पुरस्कार दिया गया है वो गीतांजलि नामक रचना के ऊपर दिया गया है। जोर्ज पंचम मान गया और रविन्द्र नाथ टैगोर को सन 1913 में गीतांजलि नामक रचना के ऊपर नोबल पुरस्कार दिया गया।

रविन्द्र नाथ टैगोर की ये सहानुभूति ख़त्म हुई 1919 में जब जलिया वाला कांड हुआ और गाँधी जी ने लगभग गाली की भाषा में उनको पत्र लिखा और कहा क़ि अभी भी तुम्हारी आँखों से अंग्रेजियत का पर्दा नहीं उतरेगा तो कब उतरेगा, तुम अंग्रेजों के इतने चाटुकार कैसे हो गए, तुम इनके इतने समर्थक कैसे हो गए फिर गाँधी जी स्वयं रविन्द्र नाथ टैगोर से मिलने गए और बहुत जोर से डाटा कि अभी तक तुम अंग्रेजो की अंध भक्ति में डूबे हुए हो तब जाकर रविंद्रनाथ टैगोर की नीद खुली। इस काण्ड का टैगोर ने विरोध किया और नोबल पुरस्कार अंग्रेजी हुकूमत को लौटा दिया।

सन 1919 से पहले जितना कुछ भी रविन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा वो अंग्रेजी सरकार के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के खिलाफ होने लगे थे। रविन्द्र नाथ टेगोर के बहनोई, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी लन्दन में रहते थे और ICS ऑफिसर थे। अपने बहनोई को उन्होंने एक पत्र लिखा था (ये 1919 के बाद की घटना है) । इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत ‘जन गण मन’ अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है। इसके शब्दों का अर्थ अच्छा नहीं है। इस गीत को नहीं गाया जाये तो अच्छा है।लेकिन अंत में उन्होंने लिख दिया कि इस चिठ्ठी को किसी को नहीं दिखाए क्योंकि मैं इसे सिर्फ आप तक सीमित रखना चाहता हूँ लेकिन जब कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो सबको बता दे।

7 अगस्त 1941 को रबिन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु के बाद इस पत्र को सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने ये पत्र सार्वजनिक किया, और सारे देश को ये कहा क़ि ये जन गन मन गीत न गाया जाये। 1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमो में बट गई। जिसमे एक खेमे के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दुसरे खेमे में मोती लाल नेहरु के समर्थक थे। मतभेद था सरकार बनाने को लेकर। एक दल चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजो के साथ कोई संयोजक सरकार (Coalition Government) बने। जबकिदूसरे दल वाले कहते थे कि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है। इस मतभेद के कारण एक नरम दल और एक गरम दल। बन गया गया !गर्म दल वे हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे। और (यहाँ मैं स्पष्ट कर दूँ कि गांधीजी उस समय तक कांग्रेस की आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे चुके थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाँधी जी दोनों पक्ष के लिए आदरणीय थे क्योंकि गाँधी जी देश के लोगों के आदरणीय थे)। लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के साथ रहते थे।

नरम दल वाले अंग्रेजों के समर्थक थे और अंग्रेजों को ये गीत पसंद नहीं था तो अंग्रेजों के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय एक हवा उड़ा दी कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। और आप जानते है कि मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है। उस समय मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे। उन्होंने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि जिन्ना भी देखने भर को (उस समय तक) भारतीय थे मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे उन्होंने भी अंग्रेजों के इशारे पर ये कहना शुरू किया और मुसलमानों को वन्दे मातरम गाने से मना कर दिया।

जब भारत सन 1947 में स्वतंत्र हो गया तो जवाहर लाल नेहरु ने इसमें राजनीति कर डाली। संविधान सभा की बहस चली। संविधान सभा के 319 में से 318 सांसद ऐसे थे जिन्होंने बंकिम बाबु द्वारा लिखित वन्देमातरम को राष्ट्र गान स्वीकार करने पर सहमति जताई। बस एक सांसद ने इस प्रस्ताव को नहीं माना। और उस एक सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरु। उनका तर्क था कि वन्दे मातरम गीत से मुसलमानों के दिल को चोट पहुचती है इसलिए इसे नहीं गाना चाहिए (दरअसल इस गीत से मुसलमानों को नहीं अंग्रेजों के दिल को चोट पहुंचती थी)। अब इस झगडे का फैसला कौन करे, तो वे पहुचे गाँधी जी के पास। गाँधी जी ने कहा कि जन गन मन के पक्ष में तो मैं भी नहीं हूँ और तुम (नेहरु ) वन्देमातरम के पक्ष में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत तैयार किया जाये। तो महात्मा गाँधी ने तीसरा विकल्प झंडा गान के रूप में दिया “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा”। लेकिन नेहरु जी उस पर भी तैयार नहीं हुए। नेहरु जी का तर्क था कि झंडा गान ओर्केस्ट्रा पर नहीं बज सकता और जन गन मन ओर्केस्ट्रा पर बज सकता है।

उस समय बात नहीं बनी तो नेहरु जी ने इस मुद्दे को गाँधी जी की मृत्यु तक टाले रखा और उनकी मृत्यु के बाद नेहरु जी ने जन गण मन को राष्ट्र गान घोषित कर दिय और जबरदस्ती भारतीयों पर इसे थोप दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अर्थ कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है, और दूसरा पक्ष नाराज न हो इसलिए वन्दे मातरम को राष्ट्रगीत बना दिया गया लेकिन कभी गया नहीं गया। नेहरु जी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते थे जिससे कि अंग्रेजों के दिल को चोट पहुंचे,

मुसलमानों के वो इतने हिमायती कैसे हो सकते थे जिस आदमी ने पाकिस्तान बनवा दिया जब कि इस देश के मुसलमान पाकिस्तान नहीं चाहते थे, जन गण मन को इस लिए तरजीह दी गयी क्योंकि वो अंग्रेजों की भक्ति में गाया गया गीत था और वन्देमातरम इसलिए पीछे रह गया क्योंकि इस गीत से अंगेजों को दर्द होता था।

अभी कुछ दिन पहले भारत सरकार ने एक सर्वे किया था अभी उसकी रिपोर्ट आई है अर्जुन सिंह की मणिस्ट्री मे है ! पूरे भारत के लोगो से पूछा गया कि आपको कौन सा गीत पसंद है ! जन गन मन या वन्देमातरम !! 98.8 %लोगो ने कहा है वन्देमातरम !!

अभी कुछ साल पहले बीबीसी ने एक सर्वे किया था। उसने पूरे संसार में जितने भी भारत के लोग रहते थे, उनसे पुछा कि आपको दोनों में से कौन सा गीत ज्यादा पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वन्देमातरम। बीबीसी के इस सर्वे से एक बात और साफ़ हुई कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय गीतों में दुसरे नंबर पर वन्देमातरम है। कई देश है जिनके लोगों को इसके बोल समझ में नहीं आते है लेकिन वो कहते है कि इसमें जो लय है उससे एक जज्बा पैदा होता है। तो ये इतिहास है वन्दे मातरम का और जन गण मन का। अब ये आप को तय करना है कि आपको क्या गाना है !!


वन्देमातरम 



21 May 2013

नमक कौन सा खाएं और क्यों ......

आदरणीय भाइयो  और बहनों : 



जरूर सुनें, डाउनलोड करें और फेलायें :  http://www.youtube.com/watch?v=bnk7N9AcnoY




सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –

प्रसिद्धा वैज्ञानिक और समाज सेवी राजीव भाई दीक्षित का कहना है की समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है ,आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है



प्रकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।


नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है ।उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है ।


प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।


ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।


भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है


सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।


यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।


यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।


रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।


यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है ।


दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।




सेंधा नमक के विशिष्ठ योग


हिंगाष्ठक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं ।



नमक के बारे मे जानकारी यहा से प्राप्त करे ---------आर्य जितेंद्र (09752089820)

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"The 13 Amazing Health Benefits of Himalayan Crystal Salt,
the Purest Salt on Earth"
Salt is essential for life -- you cannot live without it. However, most people simply don't realize that there are enormous differences between the standard, refined table and cooking salt most of you are accustomed to using and natural health-promoting salt.


These differences can have a major impact on your staying healthy.


If you want your body to function properly, you need holistic salt complete with all-natural elements. Today's common table salt has nothing in common with natural salt.


Your table salt is actually 97.5% sodium chloride and 2.5% chemicals such as moisture absorbents, and iodine. Dried at over 1,200 degrees Fahrenheit, the excessive heat alters the natural chemical structure of the salt.


This Salt Is Over 250 Million Years Old



This is by far the purest salt available on earth and is absolutely uncontaminated with any toxins or pollutants.


Once I learned about it and how beneficial it can be for you, my team and I literally spent nearly the last two years working on having it brought over to the U.S. from Nepal.


I thought I would be able to provide this salt last year but to say obtaining this salt is difficult would be an enormous understatement. You see, the suppliers of this salt have no standard infrastructure available and we have to work through people that have no idea of how normal business operates.


The shipment had to go through a number of different countries before we were finally able to import it into the US so you can use it.


Quite truthfully, all the bugs are not worked out in the supply system, and we may sell out of this salt very quickly because of all its incredible benefits -- that's why, if you are interested I encourage you to place your order as soon as possible! If we do sell out this supply early, if our past experience is any predictor of the future it may be 6 months to a year before we are able to have more to sell to you. I have never in my life seen a product that has been this challenging to obtain.


This salt from the Himalayas is known as "white gold." Together with pure spring water, Himalayan Crystal Salt offers all the natural elements exactly identical to the elements in your body -- the very same elements originally found existing in the "primal sea."



Get the benefits of Himalayan Salt in a stylish lamp that can accentuate your home or office!


Containing all of the 84 elements found in your body, the benefits of natural Himalayan Crystal Salt include:


Regulating the water content throughout your body.
Promoting a healthy pH balance in your cells, particularly your brain cells.
Promoting blood sugar health and helping to reduce the signs of aging.
Assisting in the generation of hydroelectric energy in cells in your body.
Absorption of food particles through your intestinal tract.
Supporting respiratory health.
Promoting sinus health.
Prevention of muscle cramps.
Promoting bone strength.
Regulating your sleep -- it naturally promotes sleep.
Supporting your libido.
Promoting vascular health.
In conjunction with water it is actually essential for the regulation of your blood pressure.
The Typical Table And Cooking Salt In Your
Grocery Store Has Been "Chemically Cleaned"


What remains after typical salt is "chemically cleaned" is sodium chloride -- an unnatural chemical form of salt that your body recognizes as something completely foreign. This form of salt is in almost every preserved product that you eat. Therefore, when you add more salt to your already salted food, your body receives more salt than it can dispose of.



This is important as over 90% of the money that people spend on food is for processed food.


Typical table salt crystals are totally isolated from each other. In order for your body to try to metabolize table salt crystals, it must sacrifice tremendous amounts of energy.


Inorganic sodium chloride can keep you from an ideal fluid balance and can overburden your elimination systems.


When your body tries to isolate the excess salt you typically expose it to, water molecules must surround the sodium chloride to break them up into sodium and chloride ions in order to help your body neutralize them. To accomplish this, water is taken from your cells in order to neutralize the unnatural sodium chloride.


This results in a less-than-ideal fluid balance in the cells.


You Are Losing Precious Intracellular Water When You Eat Normal Table Salt


For every gram of sodium chloride that your body cannot get rid of, your body uses 23 times the amount of cell water to neutralize the salt. Eating common table salt causes excess fluid in your body tissue, which can contribute to:


Unsightly cellulite
Rheumatism, arthritis and gout
Kidney and gall bladder stones
When you consider that the average person consumes 4,000 to 6,000 mg of sodium chloride each day, and heavy users can ingest as much as 10,000 mg in a day, it is clear that this is a serious and pervasive issue.


So Why Are Many People Still Using Table Salt?


Because well over 90% of the world's salt is being used directly for industrial purposes that require pure sodium chloride. The remaining percentage is used for preserving processes and ends up on your kitchen table.


With the use of rigorous advertising, the salt industry is successful in convincing you there are actually health advantages to adding potentially toxic iodine and fluoride to salt. In addition, your table salt very often contains potentially dangerous preservatives. Calcium carbonate, magnesium carbonate, and aluminum hydroxide are often added to improve the ability of table salt to pour. Aluminum is a light alloy that deposits into your brain -- a potential cause of Alzheimer's disease.


Get Salt as Nature Intended It -- Pure Himalayan Crystal Salt



With chemical dumping and toxic oil spills polluting the oceans at an alarming rate, most of today's sea salt is not nearly as pure as it used to be. Himalayan Crystal Salt is pure salt that is mined and washed by hand -- with zero environmental pollutants.
Today's table and cooking salt is void of the vital trace minerals that make this Himalayan crystal salt so precious. Crystal salt has spent over 250 million years maturing under extreme tectonic pressure, far away from exposure to impurities.


The salt's unique structure also stores vibrational energy. All of the crystal salt's inherent minerals and trace elements are available in colloidal form -- meaning they are so small your cells can readily absorb them.


The Crystal Salt from the Himalayas does not burden your body as other salts do. It is very difficult for your body to absorb too much crystal salt since there are powerful and effective feedback loops that regulate this process. Natural crystal salt always promotes a healthy balance and does not contribute to high blood pressure like typical table salt.


Crystal Salt's array of elements forms a compound in which each molecule is inter-connected. The connectedness allows the vibrational component of the 84 trace elements present in the salt to be in harmony with each other and adds to the ability to promote a healthy balance. When it comes to the power of natural salt, nothing compares to Himalayan Crystal Salt. Here's why:


It is the highest grade of natural salt.


Under an electron microscope, crystal salt has a perfect crystalline structure.


It is mined by hand and hand-washed.


Crystal salt is immune to electromagnetic fields


Crystal Salt contains no environmental pollutants.


There is no limited shelf life and no need for silica packets to prevent clumping.


Key Minerals in Himalayan Crystal Salt Promote a Healthy Balance in Your Body


Himalayan Crystal Salt is salt in its native form, with all its vibrational energy intact and it helps promote a healthy balance in your body. Promoting balanced electrolytes helps to keep your body in homeostasis -- the balance of chemicals that is conducive to the body's function.


The renowned Frezenius Institute in Europe analyzed the Himalayan Crystal Salt and proved that it has an amazing array of important trace minerals and elements including potassium, calcium and magnesium that help promote a healthy balance by maintaining fluids and replenishing your supply of electrolytes whenever you sweat heavily. (This salt does not supply iodide, a necessary nutrient.)


Himalayan Salt vs. Sea Salt and Rock Salt: A Crystal Comparison


Many people believe sea salt is a healthy alternative to table salt, but this is no longer the case. The oceans are being used as dumping grounds for harmful toxic poisons like mercury, PCBs and dioxin. Reports of oil spills polluting the sea are becoming more frequent. With some 89% of all the sea salt producers now refining their salt, today's sea salt simply isn't as healthy as it used to be.



If you were to look into a microscope at sea salt (pictured left) you would see it has irregular and isolated crystalline structures disconnected from the natural elements surrounding them. Thus, however many vital minerals it may contain, they cannot be absorbed by your body unless the body expends tremendous energy to vitalize them. Your body's net gain is small compared to the great loss of energy.


Because the crystalline structure of crystal salt is balanced (pictured right), it is not isolated from the 84 inherent mineral elements, but is connected to them in a harmonious state. This means the energy content in the form of minerals can be easily metabolized by your body. When you use this salt it has a vital energetic effect. Your body gets an ample net gain with little energy loss.



Mined salt, or rock salt, is also a poor substitute for Himalayan Crystal Salt. While natural rock salt comes close to being intact and is more valuable than industrial table salt, from a biophysical as well as bio-chemical perspective, it holds little value.


The elements contained in rock salt lack sufficient compression to be included in the crystal web, but are only attached to the surface and in the gaps of the crystalline structure. It is the considerable pressure that brings the elements to a colloidal state - where your cells can readily absorb them. The valuable elements found in rock salt are useless because your body cannot absorb and metabolize them.


You Can Also Use Himalayan Crystal Salt as a Bath Soak


Besides using this salt on your food and to cook with, it has multiple other exciting benefits as well.


I highly recommend you regularly use the Himalayan Bath Salt, because when you take a "brine bath," the Himalyan salt's healthy minerals are stored in the form of ions. This stimulation rejuvenates your skin, which is beneficial for everyone. Read More about the Himalayan Bath Salt.


Learn More About the Many Benefits to You of a "Brine Bath" with Himalayan Bath Salts
Himalayan salt has multiple other uses for your skin as well, which you can tap by integrating it with other natural approaches. It really has an amazing untapped potential that has not yet been recognized.

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आयोडीन युक्त नमक:

ग्लोबलाइजेशन ने इस देश के गरीबों से जीने का अधिकार छीन लिया है | ग्लोबलाइजेशन के नाम पर ५० पैसे किलो बिकने वाला नमक आज १८ रूपये किलो बिक रहा है | करोड़ों गरीबों को इस देश में सिवाय रोटी के साथ नमक खाने के अलावा कोई दूसरी चीज सपने में भी नहीं आती है, आप जिस वर्ग से आते हैं, आप शायद तुअर (रहर) की दाल खा सकते हैं, बासमती चावल खा सकते हैं, दो सब्जियां खा सकते हैं | हिन्दुस्तान में तो ८४ करोड़ लोग रोटी को नमक के साथ या नमक और मिर्च के साथ खाते हैं और उन ८४ करोड़ लोगों में, जिनके पास औसतन खर्च करने के लिए ५ रुपया भी नहीं है और उनको अगर १८ रूपये का नमक बेंच रहे है तो आप ये कर क्या रहे हैं ? ये ग्लोबलाइजेशन नहीं इकोनोमिक रिकोलोनाइजेशन हो रहा है | लेकिन देश में नमक पर इतना भारी टैक्स हो गया है कि ५० पैसे किलो वाला नमक आज १८ रूपये में बिक रहा है और कोई उफ़ तक नहीं कर रहा है | आपके जैसे लोगों की मजबूरी मैं समझ सकता हूँ, आपके लिए नमक १८ रूपये का बिके या ५० रूपये का, आपको कोई अंतर नहीं पड़ने वाला लेकिन तकलीफ उन ८४ करोड़ लोगों की है जिनके पास एक दिन में खर्च करने के लिए ५ रुपया नहीं है, तकलीफ उनकी है और कभी उनके जगह पर अपने को रख कर देखिये और सोचिये कि कैसे इस देश के ८४ करोड़ लोग रोटी खा रहे होंगे तब से जब से ५० पैसे किलो वाला नमक १८ रूपये किलो के भाव में बिक रहा है |

पूरी बर्बरता के साथ भारत सरकार द्वारा फरमान जारी किया गया था कि कहीं भी बिना आयोडीन वाला नमक नहीं बेचा जाए, मतलब हर जगह वो १८ रूपये वाला ही नमक बिकेगा | आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि आयोडीन हर नमक में होता है, कोई भी नमक बिना आयोडीन के नहीं होता क्योंकि नमक बनता है समुद्र के पानी से और सूरज की रौशनी से, कोई तकनीक नहीं लगती,कोई मशीन नहीं लगती और समुद्र के पानी में सबसे ज्यादा आयोडीन होता है, विज्ञान की जानकारी के अनुसार | तो समुद्र के पानी में आयोडीन है और उससे बनने वाले नमक में भी आयोडीन है और हमको साधारण स्तर पर एक दिन में १२५ माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है बस | और जो साधारण नमक हम खाते है उसके माध्यम से एक दिन में १७५ माइक्रोग्राम आयोडीन खा जाते है मतलब जितनी जरूरत है उससे भी ५० माइक्रोग्राम ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं, तो इस देश में आयोडीन की कमी कहाँ है ? ये तो सबसे बड़ा झूठ है जो इस देश में आजादी के बाद से बोला जा रहा है पिछले बीस साल से | और ये झूठ बोला गया जब ग्लोबलाइजेशन के नाम पर एक विदेशी कम्पनी को नमक बनाने और बेचने का अधिकार दिया गया और उस विदेशी कम्पनी के नमक का नाम था अन्नपुर्णा | कंपनी का असली नाम है हिन्दुस्तान यूनिलीवर | जब से हिन्दुस्तान यूनिलीवर को इस देश में नमक बेचने का लाइसेंस मिला तब से आयोडीन का चक्कर चलाया इन कंपनियों ने और मैं आरोप लगाता हूँ कि इस देश के बड़े-बड़े सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं जिन्होंने गलत रिपोर्ट पेश कर के इस देश के लोगों के मन में ये डर पैदा कर दिया कि आपको आयोडीन की कमी हो गयी है, इसलिए आपको आयोडीन वाला नमक खाना चाहिए |

और एक बार एक सांसद के माध्यम से जब ये प्रश्न संसद में पुछवाया कि "आयोडीन की कमी के कारण पुरे देश में जो बीमारियाँ हैं, जैसे घेंघा सबसे ज्यादा है तो उसके मरीज कितने हैं ? तो भारत सरकार का उत्तर था कि "जितनी कुल बिमारियों के मरीज हैं उसमे ०.३% मरीज घेन्धा के हैं और वो कहाँ हैं तो भारत के पर्वतीय इलाकों में" | और इन पर्वतीय इलाकों में भारत की कुल आबादी के ५% लोग ही रहते हैं, अगर आयोडीन की कमी को मान भी लिया जाए तो ये कमी भारत के पर्वतीय इलाकों में है, सामान्य इलाकों में कोई कमी नहीं है लेकिन पुरे भारत में ये नाटक चला और दुर्भाग्य से आज भी चल रहा है और इस नाटक के पीछे का एक ही सत्य है कि एक विदेशी कंपनी को नमक बेचना था और उसको करोड़ों रूपये का मुनाफा कमाने का मौका देना था इसलिए वो कंपनी ५० पैसे के नमक को २ रूपये से शुरू कर के आज १८ रूपये में बेच रहा है आयोडीन नाम के धोखे के साथ | और कैसे लुट रहे हैं आपको - अगर आयोडीन युक्त नमक बनाया जाए एक किलो तो उसका लागत मूल्य आता है एक रूपये और उसमे अगर आयोडीन मिलाया जाए तो लागत और ५० पैसे बढ़ जाएगा, दुकानदारों का कमीशन और ढुलाई खर्च जोड़ दिया जाए तो ३ रूपये प्रति किलो से ज्यादा इसका मूल्य नहीं होना चाहिए लेकिन इसे बेचा जा रहा है १८ रूपये प्रति किलो के हिसाब से, मतलब १५ रूपये का शुद्ध मुनाफा और भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार आज भारत में नमक बिक रहा है ५० लाख टन, और एक किलो नमक पर मुनाफा अगर १५ रूपये का है तो हमारी जेब से कितना पैसा निकल रहा है, आप जोड़ सकते हैं | और ये उस देश में हो रहा है जिस देश में महात्मा गाँधी ने नमक पर टैक्स के विरोध में नमक सत्याग्रह किया था | नाथूराम गोडसे ने तो महात्मा गाँधी के शरीर की हत्या की थी और इन लोगों ने तो गाँधी जी के विचार को मार दिया है, ये तो नाथूराम से बड़े हत्यारे हैं और यही लोग हर साल ३० जनवरी और २ अक्टूबर के अवसर पर गाँधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, पता नहीं किस मुंह से |

विकल्प
हमारे यहाँ जो ब्लड प्रेसर, सुगर और थायराइड की समस्या बढ़ी है उसमे आयोडीन युक्त नमक का सबसे बड़ा हाथ है | आपको स्वस्थ्य रहना है तो सबसे पहले तो अपना नमक बदलिए | आप सेन्धा नमक का प्रयोग कीजिये और इसे ऊपर से छिड़क कर या बुरक कर मत खाइए | सब्जी या दाल बनते समय ही इसे डालिए, मतलब नमक डालने के बाद उसमे उबाल आना चाहिए, ऊपर से डाला हुआ नमक जहर के समान होता है इसलिए ऊपर से नमक मत डालिए | सलाद वगैरह में ऊपर से छिड़क कर खाना है तो काला नमक का प्रयोग कीजिये |

जय हिंद
राजीव दीक्षित